मलवा विकासखंड के अभयपुर ग्राम सभा के रानीपुर गांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में भागवत भूषण आचार्य महेश देव पांडेय ने सती जी का प्रसंग बड़े ही विस्तार से वर्णन किया और आगे ध्रुव चरित्र भरत चरित्र की कथा सुनाते हुए कहा कि
दक्ष प्रजापति के यहां का अनुष्ठान हो रहा था जिस पर सती जी को निमंत्रण नहीं मिला था फिर भी बिना बुलाए ही अपने पिता के यहां चली गई थी पिता के यहां पर आवभगत न होने पर वह क्रोध से आग बबूला हो गई और उन्होंने कहा कि
*अस कहि जोग अगिनि तनु जारा
* *भयउ शकल मख हाहाकारा*
ऐसा कहकर सती जी ने योगाग्नि से अपने शरीर को भस्म कर दिया। वही महादेव ने क्रोधित होकर वीरभद्र को प्रकट कर दिया बुद्ध ने दक्ष प्रजापति के यज्ञ का विध्वंस कर दिया।
शिव सती चरित्र सुनकर श्रोतागण भाव विभोर हो गए श्रोतागण भाव मुक्त होकर तथा में झूमते नजर आए।
उन्होंने कहा कि *मंत्र जाप मम दृढ़ विश्वास*
उन्होंने कहा कि पंचम भक्ति के अंतर्गत मंत्र जाप बताया गया है
मंत्र कजाप निरंतर करने से भी भगवान शीघ्र ही प्राप्त होते हैं।
श्रीमद् भागवत कथा में प्रमुख रूप से परीक्षित शिवराज सिंह पत्नी किरण देवी, आचार्य महेश उपाध्याय,अरविंद पाठक, आशीष पाठक,प्रियम द्विवेदी, अवनीश, आशीष ,ऋषि ,महेश सिंह, राजू सिंह ,रामकरण सिंह मनोज सिंह ,राकेश सिंह ,राहुल सिंह, प्रियांशु, बच्चा सिंह, शिवबहादुर सिंह,आराध्या, वसुंधरा ,सुरभि सहित सैकड़ो की संख्या में माताएं बहने उपस्थित होकर अमृत मयी ,संगीतमई , कथा का रसपान किया।
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